कभी देखा है उन बादलों को
कभी देखा है उन बादलों को
कभी देखा है
उन बादलों को
जो घने है काले है
डरावने है फिर भी
सुहावने लगते हैं
कभी बरसे हैं
जीवन दाता बनके
तो कभी बरसे
एक कहर बनके
कभी देखा है
उन बादलों को
झर झर मधुर मधुर
संगीत सुनाते हैं
बिजली गरजी तो
रुह भी कंपाते है
बादल जो बरसे वो
झूम झूम के ये
सब को नचाते है
कभी देखा है
उन बादलों को
जो शोर करते है
घनघोर बरसते है
कही ये रात सुहानी
तो कही आंखों में
विरानी जगाते है
जो शरणों में भी
काल बन जाते है
सागर किनारे अक्सर
बस्तियां उजड़ाते हैं
कहीं राह मिटाते हैं
कहीं राह बनाते हैं
कभी देखा है
उन बादलों को
जो प्यार जगाते हैं।