एक स्त्री
एक स्त्री
एक स्त्री,जो कभी पार्वती बन
शिव को समर्पित हो जाती है।
एक स्त्री जो कभी सिया बन
राम की प्रेम सूचक बन जाती है।
एक स्त्री, जो कभी राधा बन
उस श्याम को ही प्रेम सिखाती है।
एक स्त्री,जो कभी उर्मिला बन
लखन की निद्रा बन जाती है।
एक स्त्री, जो एक पत्थर बन
श्री राम के स्पर्श से अहिल्या बन पाती है।
एक स्त्री, जो बरसों तपस्या कर
मीठे बेरो की शबरी बन जाती है।
एक स्त्री, जो लक्ष्मी बन
नारायण के संग नारायणी कहलाती है।
एक स्त्री,जो दुर्गा बन
राक्षसों का भक्षण कर देती है।
एक स्त्री, जो कभी काली बन
शिवा को अपने तले ले लेती है।
एक स्त्री, जो रुक्मणि बन
कान्हा की रानी बन जाती है।
एक स्त्री, जो तुलसी बन
हर घर में अपनी जगह बनाती है।
एक स्त्री,जो एक अवतार लेकर
पृथ्वी बन जाती है।
एक स्त्री, जो मां बन
एक जीव को नया जन्म देती है।
एक स्त्री,जो न जाने
कितने रिश्तों को एक साथ निभा जाती है।
एक स्त्री,जो बिन कुछ कहे
खुद को एक जीवन में समर्पण करती है।
एक स्त्री, जो नए जीवन का आधार है
जिसकी हर एक सांस आभार है।
एक स्त्री, जो समाज की नींव है
जो हर घर में होने वाली प्रीत है।
एक स्त्री,जो आईने का एक पहलू है
जैसे मिट्ठी के कण में मिली बालू हैं।
