अंततः चलायमान होना है
अंततः चलायमान होना है
जहां इहलोक की बात है तो वहां सब माया है !
वहां उस लोक की बात करें तो कौन जान पाया है !
आज कोई आया संसार में तो कल कोई गया है
क्षणभंगूर से इस जीवन में क्या कुछ बँधा बँधाया है !
प्रतिपल बदलती दुनियां में कौन अपना पराया है
हृदय के भाव जो उभारे वह दर्पण अंतस की छाया है !
अनंत में विलीन होना ही है ये जो मिट्टी की काया है
जीवन के इस कटु सत्य से भला कौन बच पाया है !
जीवन रहते है संघर्ष अनवरत चलायमान संकाया है
मानवमात्र अपितु सृष्टि की नश्वर कृति एक संकाया है !