Ravi Jha

Romance Classics

4.5  

Ravi Jha

Romance Classics

मुलाकात

मुलाकात

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मुद्दतो बाद मयस्सर हुई जिनसे मुलाकात है

न वो कुछ बोली न हमने की कोई बात है।


उनका और मेरा तो मिलना ही इत्तिफ़ाक़ था

फिर मोहब्बत हो गई तो कौन सी बड़ी बात है?


अमावस को आ गयी थी छत पर वो फिर से

मैंने पूछा! कि क्या आज ही चाँदनी रात है?


उन्हें मालूम हो! दिल के पहले ही चार टुकड़े है

अब और टुकड़े करने की किसकी औकात है ?


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