मोहब्बत
मोहब्बत
मोहब्बत से दुनिया है या दुनिया से मोहब्बत
जो करते सब मोहब्बत तो फिर कैसी अदावत
और ये इज़हार ए मोहब्बत की रस्मो अदायगी
बहुत मुश्किल है कि हो मोहब्बत से मोहब्बत।
जो आँखों मे उतरे तो तस्वीर मोहब्बत
जो माथे पर उभरे तो तकदीर मोहब्बत
जो कागज़ पर उतरे तो तहरीर मोहब्बत
जो जुबां पर आए तो तक़रीर मोहब्बत।
मोहब्बत ही खुदा मोहब्बत ही नमाज़
मोहब्बत ही अंत मोहब्बत ही आगाज़
मोहब्बत ही खामोशी मोहब्बत अल्फाज़
मोहब्बत ही बर्बादी मोहब्बत ही साज़।
कोई लिखा मोहब्बत कोई गाया मोहब्बत
धूप जो बढ जाए तो है छाया मोहब्बत
मोहब्बत से मगर ये होती है शिकायत
जो किया मोहब्बत तो क्यूँ न पाया मोहब्बत?