STORYMIRROR

Ravi Jha

Romance Classics Fantasy

4  

Ravi Jha

Romance Classics Fantasy

इश्क

इश्क

1 min
244

बहुत मुस्कुरा रहे हो! उसे थाम लो

ये इश्क है मियां ! संभल के नाम लो।


इश्क गुनाह नहीं है कि तुम न करो 

मगर उससे पहले उन्हें पहचान लो।


इश्क एक दरिया हैं इसे पार करना है 

मगर डूबना मुनासिब है यह जान लो।


इश्क महज तिज़ारत न रह जाए 'रवि'

सो दिमाग से नहीं दिल से काम लो। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance