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Ravi Jha

Romance Classics Fantasy

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Ravi Jha

Romance Classics Fantasy

गज़ल

गज़ल

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अरसों बाद कलम हाथ आ गई

ऐसा लगा कि तुम साथ आ गई।


पलकें झुकी तो अंधेरा हो गया

ऐसा क्यूँ लगा कि रात आ गई?


और ये मस'अला कौन समझाए

गज़लो मे कैसे तेरी बात आ गई ?


शायर तो बज़्म मे यूँ ही बदनाम है

ये मत पूछो कि कौन याद आ गई ? 


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