गज़ल
गज़ल
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अरसों बाद कलम हाथ आ गई
ऐसा लगा कि तुम साथ आ गई।
पलकें झुकी तो अंधेरा हो गया
ऐसा क्यूँ लगा कि रात आ गई?
और ये मस'अला कौन समझाए
गज़लो मे कैसे तेरी बात आ गई ?
शायर तो बज़्म मे यूँ ही बदनाम है
ये मत पूछो कि कौन याद आ गई ?