मोहब्बत
मोहब्बत
तुम्हें मोहब्बत है! तो इज़हार करो
डरते क्यों हो? खुल कर प्यार करो।
और जो करते हो तुम उससे मोहब्बत
फिर घबराते क्यूँ हो? स्वीकार करो।
क्या कहा प्यार दुबारा नहीं हो सकता
मोहब्बत है! गुनाह नहीं! बार बार करो।
और चलो माना कि मोहब्बत जंग है
तो फिर लड़ाई अबकी आर पार करो।
और सुनो ! तुम्हें मोहब्बत है! है न ?
फिर संभल जाओ ! थोड़ा इंतज़ार करो।