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Shakuntla Agarwal

Abstract Classics

4.6  

Shakuntla Agarwal

Abstract Classics

"चिंगारी"

"चिंगारी"

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ज़मानें की निग़ाहों से,

छुपाकर रखना प्यार की चिंगारी को,

पहले हवा देकर भड़कायेंगे,

फिर आग लगा देंगे,

कहीं जल न जाये,


मेरे प्यार का आशियाना,

इन आग की लपटों में,

दिल में छुपा लेना,

प्यार की चिंगारी को,

ज़मानें की निग़ाहें चील सी,


चाल से पहचान लेते हैं,

अपनी चलगत को बचाना,

ज़मानें की निग़ाहों से,

कहीं हवा न लग जाये,


हमारे प्यार की चिंगारी से,

मैं डूबना चाहता हूँ,

तुम्हारीं झील सी आँखों में,

मैं सोना चाहता हूँ,

तुम्हारीं रेशमी ज़ुल्फ़ों की छाँव में,


अधूरी

सी है जो ज़िन्दगी,

भरपूर जीना चाहता हूँ,

तुम्हारीं बाँहों की पनाहों में,

तुम मेरे पनहगार,

मैं तुम्हारा दीवाना,

दीवानगी में हदें भी,


लाँघ जाऊँ कभी अगर,

हमराज़ बन बचा लेना,

ज़मानें की निग़ाहों से,

गर्दिश में सितारें,

जो डूबने लगें अगर,


हाथ बढ़ाकर थाम लेना,

मेरे प्यार के आशियाने को,

वीरान न हो जाये मेरा दिल,

मिलन की प्यास बनायें रखना,

अँधेरों से लगता है डर मुझें,


मोहब्बत के दीप जलाये रखना,

पाक - साफ मोहब्बत है मेरी,

मेरे दामन को "शकुन",

दाग से बचाये रखना।


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