STORYMIRROR

Rachna Vinod

Classics

4  

Rachna Vinod

Classics

देवरात्री महाशिवरात्रि

देवरात्री महाशिवरात्रि

1 min
280

शिवरात्री की बात

महाशिवरात्रि की रात

सजे शिव-मन्दिर, सजे घाट-घाट

सभी दोहराएं शिव-बारात।

साक्षात दिव्य छत्र छाया

कुछ न खोकर सब कुछ पाया

निराला रुप कान्तिमय काया

मेह अंतर्मन बरसाया।

महायौगिक महाशिव माया

शिव महिमा छत्र छाया

सर्वत्र सर्वज्ञ सर्वांग समाया

शांत प्रशांत समक्ष संग साया।

राग रंग अंग रंगाया

रिमझिम रोम रोम रमाया

अथाह असीम पी-अंग उपाया

मनभाता मेल कराया।

शनै शनै अंकशयन

मणिमहेश मखमलीपन 

अंक अंकुरित आंकलन

पावस पर्व पुनर्मिलन।

आलिंगनबद्ध हो प्रियवचन

सोहे सजी सखी सुहागन

शेषनाग का फैला फन 

सर्प स्पर्श सजे सुहावन।

चुम्बकीय अधर चंदन

यत्र तत्र हिम खनन

आदि अन्त अक्षय अनन्त

तृष्णारिक्त तृप्त सदन।

नवआयाम त्रिनेत्रधारी

त्रिलोकर्दशी कल्याणकारी 

सर्प भुजाएं देवरात्री

जय-जय-जय महाशिवरात्रि।

     ----------------------


ഈ കണ്ടെൻറ്റിനെ റേറ്റ് ചെയ്യുക
ലോഗിൻ

Similar hindi poem from Classics