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Alka Thakur

Abstract Romance Classics

4.0  

Alka Thakur

Abstract Romance Classics

प्यार की छांँव

प्यार की छांँव

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243


सुकून की चाहत में, 

खुशियों की तमन्ना में, 

भटकते रहे हम बिखरते रहे।


प्यार की चाह में, 

झूठी मुस्कान में, 

टूटते गए हम मिटते गए।


बस मिला तो सुकून मुझे, 

तेरी प्यार की छांँव में।

बस मिली खुशियां मुझे, 

तेरी प्यार भरी मीठी बातों में।


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