बचपन की बातें
बचपन की बातें
मुझे याद आती वे बचपन की बातें,
बारिश के दिन और जुगनू भरी रातें,
गर्मी की दोपहर और सर्दी की रातें,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
तितली का उड़ना कोयल का गाना,
होली के रंग और दिवाली के दिये,
रातों में छुप-छुप कर तारों को गिनना,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
अमरुद की डाली पे ऊपर तक चढ़ना,
माँ के बुलाने पर गिरके उतरना,
रातों में डर के माँ को पकड़ना,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
स्कुल न जाने के कितने बहाने,
खाने से बचने के कितने तरीके,
खुशियों के दिन और खुशियों की रातें,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
पापा की कहानियाँ माँ की वो लोरियाँ,
मेलो में जाना और गोले भी खाना,
अपनों का साथ और अपनों की बातें,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
माँ के हाथों की वे हलवे पूरी,
पापा के लाए वो रबड़ी मिठाई,
भाई बहनों के साथ लड़ना झगरना,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
आँखों में सपने दिल में उम्मीदें,
कुछ भी कर पाने के वे अपने इरादें,
किताबों की बातें वे दोस्तों की बातें,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
बारिश में भीगना घर डर के आना,
पापा को देखते ही डर के छुप जाना,
आँखों में आँसू और दिल में घबराना,
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।
क्या फिर हम उस दिन में वापस जा पाएंगे ?
मीठी-मीठी यादों में फिर हम खो पाएंगे ?
फिर से बिना फ़िक्र क्या हम जी पाएंगे ?
मुझे याद आती वे बचपन की बातें।