जीवन के खेल
जीवन के खेल
सोच लिया है हमने,
खुद से ही प्यार करेंगे।
अपनी पहचान के आगे,
उंगली ना उठने देंगे।
दुनिया के इस खेल में,
खुद को ना झुकने देंगे।
धोखे और फरेब के इस खेल में,
खुद को ना फसने देंगे।
थोड़े हौसले थोड़ी हिम्मत,
आज जगा लेते हैं।
ये खेल खेलने वालो को,
आओ ये बता देते हैं।
अब ना उनकी बातों में,
हम खुद को पड़ने देंगे।