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Alka Thakur

Classics Crime Thriller

4.9  

Alka Thakur

Classics Crime Thriller

सैनिक

सैनिक

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जिसने अपना सबकुछ त्यागा, देश की आन बचाने को !

सरहद पर लड़ने वालो की, मैं याद दिलाने आई हूँ !

बूढी माँ घर पर रोती, एक झलक पाने को !

सैनिक बेटे को कहाँ समय हैं, माँ के दर्शन पाने को !


देश के लिए मर मिटते हैं, घर वाले रोते हैं !

सैनिक भी एक इन्सां ही हैं, उनका भी एक दिल हैं !

जब भी घर की याद सताए, दिल ही दिल रोते हैं !

देश के बाहर के दुश्मन से, वे हर पल लड़ते हैं !


देश के अन्दर जब दंगा हो, तो वे दौरे आते हैं !

पत्थर खाते लाठी खाते, और गोली खाते हैं !

कभी न हटते सदा ही लड़ते, दुश्मन से हमें बचाते हैं !

जब हम अपने घर में ख़ुशी मनाते, वे गोली खाते हैं !


जब हम होली ईद मनाते, वे अपना रक्त बहाते हैं !

देश की रक्षा करते-करते, वे अपनी जान गवाते हैं !

अगर सैनिक ना होते, तो सोचो क्या जीवन होता !

हर कोई डर-डर कर जीता, जीवन छन-भंगुर हो जाता !


सैनिक तुम तो देवदूत हो, हम सब देश के लोगों के !

तेरा यह कर्ज चूका ना पाऊं, चाहे जितना जतन कर लूं !

हे देश के वीर सैनिको, तुझको शत-शत नमन हैं !

तेरा जीवन देश के खातिर, और देश तेरा ऋणी हैं !


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