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V. Aaradhyaa

Abstract Classics Inspirational

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V. Aaradhyaa

Abstract Classics Inspirational

स्त्री रिश्ते की तुरपाई करती है

स्त्री रिश्ते की तुरपाई करती है

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हर स्त्री अपने आप को आंकती रहती है,

अपने मन के अंदर जाती रहती है:

और अपने अस्तित्व को स्थापित करने की

लगातार कोशिश करती रहती है !


हर रिश्ता बहुत ही प्यार से बुनती है !

उनकी उघड़ी हुई सिलाई की तुरपाई करती है !

हर रिश्ता चाहे उनकी तरफ से हो या ना हो,

वह रिश्ते निभाने का भरपूर दम रखती है !


कभी रिश्ता बिगड़ता है तो....

मीठी मीठी बोली से तो मुनहार की 

कभी सूई धागे से पैबंद लगाती है !

कभी नए नए रिश्ते सिलती रहती है !


अपने बच्चों की ख्वाहिश पूरी करने के

आगे जान लगा देती है !

सबकी इच्छाओं और हर किसी की होकर 

खुशी के आगे झुक जाती है !


और जब खुद के लिए वक्त मिलता है तो...

मौका मिलते ही उन्मुक्त होकर उड़ जाती है !

कभी अपनी कलम से अक्षरों को

टटोल टटोल कर, बड़े एहतियात से 

मन की स्याही से शब्दो को उकेर लेती है !


 और सबसे ताज्जुब की बात यह है कि.…

एक स्त्री सम्मान के अलावा और कुछ नहीं चाहती है !

समुचित मान मिले तो स्त्री पहाड़ से सख्त और

नदिया सी चंचल और फूलों सी कोमल बन जाती है।


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