कविता चुटकी भर सिंदूर
कविता चुटकी भर सिंदूर
चुटकी भर सिंदूर
सारा जीवन बांधे मुट्ठी में भरपुर
चुटकी भर सिंदूर
माँ पापा की नींद करे काफूर
चुटकी भर सिंदूर
सात वचन पल में करवाता दोनों को मंजूर
चुटकी भर सिंदूर
परदेसी परदेश पीहर से सुदूर
चुटकी भर सिंदूर
पाँव महावर माथे बिंदिया चेहरे पर लाता नूर
चुटकी भर सिंदूर
सब सिंगार उतर जाता जब माँग से होता दूर
चुटकी भर सिंदूर।