वो सफर ही क्या, वो सफर ही क्या,
सिसक रहा है लिखने वाला, पागल सा पढ़ने वाला। सिसक रहा है लिखने वाला, पागल सा पढ़ने वाला।
दूसरे पते पर लिखने का दर्द दूसरे पते पर लिखने का दर्द
कौन से ग्रह का है वह प्राणी, कैसा दिखता कैसा रहता, कौन से ग्रह का है वह प्राणी, कैसा दिखता कैसा रहता,
काग़ज़ पर उतारने के लिए तैयार रहती हूँ तेरे दर्दों को लिखने का साहस करती हूं काग़ज़ पर उतारने के लिए तैयार रहती हूँ तेरे दर्दों को लिखने का साहस करती हूं
सब चाहतें हैं अपने-अपने तरीके से अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सब चाहतें हैं अपने-अपने तरीके से अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को