और सर्द रातों का वो वक्त जब उंगलियां घूमना चाहती है और सर्द रातों का वो वक्त जब उंगलियां घूमना चाहती है
बेटियाँ हजारी की फूल हैं जो खिली रहती हैं हर घर के आंगन में बेटियाँ हजारी की फूल हैं जो खिली रहती हैं हर घर के आंगन में
वो सफर ही क्या, वो सफर ही क्या,
आइने में चेहरा किसी पुराने केलेंडर सा लगता हैं अब। आइने में चेहरा किसी पुराने केलेंडर सा लगता हैं अब।
जिन्हें मैं अपने मन के अन्तर्द्वन्द के हाथों हार तोड़ और जला जाऊँगा उसी दिन होगी मेरी जिन्हें मैं अपने मन के अन्तर्द्वन्द के हाथों हार तोड़ और जला जाऊँगा उसी...
गिरना नहीं है, चलना है जिंदगी। गिरना नहीं है, चलना है जिंदगी।