जिंदगी एक ट्रैन
जिंदगी एक ट्रैन
मेरी जिंदगी भी एक ट्रैन की तरह है -
कभी चल पड़ती है तो कभी थम जाती है !
दिल की हर आरज़ू इंजन की तरह है -
कभी सीटी मारती है तो कभी धुएं की तरह सुलग जाती है !
मेरे दर्द के हर एक चक्के का भार कुछ इस कदर है
गाड़ी रूकती है तो जंग लग जाती है
और चलती है तो डीरेल हो जाती है !
इतनी भीड़ है मेरे दिल के डब्बो में कश्मकश की
कभी हम रह गए इंतज़ार में
तो कभी भावनाओं को सीट मिल जाती है !
हर सफर के धक्कों धक्कों से सीखा है
मैंने सीट सिर्फ अपनी ही काम आती है !
हर एक पहिया मेरी प्रगति की याद दिलाता है,
और हर एक पटरी बीतें लम्हो की याद दिलाती है,
किसको कह दे अच्छा , कौन है बुरा ?
मेरे दिल की पुल्ड चैन हर किसी को माफ़ कर जाती है !
खिड़की के बाहर का नज़ारा बार बार
याद दिलाता है ,जिंदगी कितनी खूबसूरत है
बादल घटा पहाड़ नदी कितनी मदमुस्त मूरत है !
फिर भी हम याद करते है उन्ही मनहूस लम्हों को
वो सारी अच्छी वाडिया भी गमगीन हो जाती है !
मेरी यादें रेलवे स्टेशन जैसी है,
जिसपे खड़ी है उसका एहसास नहीं करती,
जो स्टेशन छूट गया उसी की बात दोहराती है !
अज़ीब जद्दोजहद है इस वक़्त की भी
जब हम राइट टाइम रहते तो ट्रेन
अक्सर १० मिनट लेट रहती है।
गर हम तोड़ा लेट हुए तो हम
देखते रह जाते हैं और ट्रेन छूट जाती है !
मेरी जिंदगी भी ट्रेन जैसी है
कभी स्लो चलती है कभी फास्ट चलती है !
जब हम रुकना चाहते है तो वो दौड़ती है और
जब हम दौड़ना चाहते है तो वो थम जाती है !
मेरी जिंदगी भी एक ट्रैन की तरह है
कभी चल पड़ती है तो कभी थम जाती है !
दिल की हर आरज़ू इंजन की तरह है -
कभी सीटी मारती है तो कभी
धुएं की तरह सुलग जाती है !