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क्योंकि कविता लिख रहा हूँ

क्योंकि कविता लिख रहा हूँ

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मृत्यु मेरे द्वार पर आना अभी मत-

व्यस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।


भावनाएँ साथ में हैं 

कल्पनाएँ साथ में हैं। 

काव्य की सम्पूर्णता की-

कामनाएँ साथ में हैं। 

शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में-

पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।


हाथ में कागज़-कलम हैं

भाव लेकिन सम-विषम हैं।

वेदना  के  आचमन से-

हाय!  मेरे  नैन  नम हैं।

अड़चनें हैं कुछ सृजन में, किन्तु फिर भी-

मस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।


पूर्ण जब मेरा सृजन हो

रुद्ध मम अंतःकरण हो।

बस इसी के बाद में फिर-

मृत्यु से मेरा वरण हो।

मृत्यु तेरे आगमन से क्यों भला फिर-

त्रस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।


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