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Dr. Gopal Sahu

Tragedy

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Dr. Gopal Sahu

Tragedy

तजुर्बा ए जिन्दगी...

तजुर्बा ए जिन्दगी...

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तजुर्बा –ए –जिन्दगी...

वक्त बड़ा बे – हिसाब है साहब, 

कुछ देकर बहुत कुछ छीन लेती है साहब।

थोड़ी खुशी, ज्यादा गम देकर ,

जिन्दगी उदास कर जाती है साहब।।


दौलत – शोहरत, हुस्न – अदाएं, 

मदिरा – मैयखाना सब झूठ है साहब ।

अग्नि – अनिल – आकाश, पानी –पृथ्वी,

सारे जहां में, यही एक मात्र सच है साहब।।


सूरज, चांद, पवन– पहाड़, नदी, सरोवर ,

जीवन का यही एक सूत्र धार है साहब ।

ईमान ही इबादत , कर्म ही किस्मत है ,

सफल जीवन का यही एक राज है साहब।।


जो रिश्तों के पीछे भागा, उसे रिश्ता ना मिला,

जो दौलत के पीछे भागा, उसे दौलत ना मिला ।

ये कमबख्त दुनिया, बड़ी ज़ालिम है साहब ,

सबके अपने , अलग –अलग हिसाब है साहब ।।


टूटी खाट–गहरी नींद, भूखा पेट–नीच का भोजन,

प्यास इंसान जूठा पानी में, कोई भेद ना माने साहब ।

पद – प्रतिष्ठा, प्रेम से बड़ा नहीं है साहब ,

जीवन के सफ़र में सबसे अलग तजुर्बा है साहब ।।

डॉ गोपाल साहु ( दरभंगा )


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