रात का खालीपन...
रात का खालीपन...
रात का खालीपन से आत्म विहीन शरीर हो जाता है।
दर्द – दीवारों के सुन सुनकर , मुख मौन रह जाता है।।
रात – रौशन है उनके जो औरों के घर अंधेरा लाता है।
रत्न विभूषित है वो समंदर जो नैनों से बह जाता है।।
अकड़ होता खड़ा पहाड़ में, जो कभी नहीं पूजा जाता है।
पूजा जाता वह पत्थर जो घिस घिस कर मूरत बन जाता है।।
सुंदर कोई व्यक्ति नहीं, व्यक्तित्व से व्यक्ति सुंदर होता है।
लांछन मढ़ने वाले बच के रहना, दर्पण तेरे घर में भी रहता है।।
दौलत के नशे में चूर, कोई इज्जत को लुटा कर खुश रहता है।
नीच वो व्यक्ति नहीं, जिनके बदन गरीबी में फट जाता है ।।
