मोहब्बत है मातृभूमि से...
मोहब्बत है मातृभूमि से...
असल मायने में शख़्स वही जो दर्द की कीमत बताते हैं।
तोड़कर जंजीर उलफ़्तों की अक़्सर वही राह बनाते हैं।।
मन्दिर का नहीं, रास्ते का पत्थर हमारी क़िस्मत बनाते हैं।
अगर लग जाए ठोकरें तो हमें चलना वही सिखाते हैं।।
मत रोको उन्हें जो कठिन दौर में हमें सपने दिखाते हैं।।
लड़कर चट्टानों से हमारे सपनों को हक़ीकत बनाते हैं।।
मोहब्बत है मातृभूमि से जिन्हें, वो अक्सर इंकलाब गाते हैं।
मज़हब मत पूछो उनसे जो दिल में हिन्दुस्तान बसाते हैं।।
कुछ कह दो उन्हें भी जो अक़्सर शरहद पर जान गवाते हैं।
मातृभूमि के गोद में सो कर तिरंगे की शान बढ़ाते हैं।।
नमन है उन्हें जो मज़हब इंसान को नहीं ईमान को बताते हैं।
अदीब है वो जो दिवाली में रामायण तो ईद में कुरान पढ़ाते हैं।।
