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भर-भर के जाम पी ले...

भर-भर के जाम पी ले...

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भर-भर के जाम पी ले, साक़ी का नाम ले के।

थोड़ा-सा तू भी जी ले, साक़ी का नाम ले के।


ग़म से भरी ये दुनिया, क्यूं हो रहा परिशां,

ग़म अपने तू भुला दे, हस्ती को भी मिटा दे,

सुबह और शाम पी ले, साक़ी का नाम ले के।


इस मैक़दे में आ जा, ग़म से नज़ात पा जा,

वीरान ज़िन्दगी को मदहोश तू बना जा,

उल्फ़त का जाम पी ले, साक़ी का नाम ले के।


वाबस्ता जाम कर ले, तू अपनी ज़िन्दगी से,

रंगीन शाम कर ले, दीवाने मैक़शी से,

'गुलाब' तू भी पी ले, साक़ी का नाम ले के।


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