आँखों से बयां मुहब्बत.....
आँखों से बयां मुहब्बत.....
मौत से जब मेरी पहचान हो गई |
ज़िन्दगी जीनी बहुत आसान हो गई |
ग़म हैं कि घर में घुस कर बैठ गए,
ख़ुशी कुछ पल की मेहमान हो गई |
हौंसले जब से मेरे बुलंद हो गए,
दुश्वार राह भी आसान हो गई |
तफ़तीश जब सफ़ेदपोशों की हुई,
गुनहगारों की पहचान हो गई |
सियासत रोज़ी-रोटी का सामान हो गई,
जाति और मज़हब की दुकान हो गई |
इबादत और पूजा से नाता तोड़ लिया,
इंसानियत बस मेरा ईमान हो गई |
ज़रूरी नहीं कि होठों से ही बयां हो,
मुहब्बत में आँखें ज़ुबान हो गईं।