रौशन खुदा करेगा
रौशन खुदा करेगा
ये सोच मत मुकद्दर केवल दगा करेगा ।
हर तीरगी को इक दिन, रौशन खुदा करेगा ।।
है रात तो ये तय है कुछ पल में सुब्ह होगी ;
जो बेवफा है इक दिन, वो भी वफ़ा करेगा ।
ये खेल है खुदा का उसकी रज़ा पे छोड़ो ;
वो आज क्या करेगा वो कल में क्या करेगा ।
इक राह पे ही चलना यूँ तो बुरा नहीं है ;
लेकिन यहीं करेगा तो कब नया करेगा ।
