Krishna Khatri
Inspirational
तुम क्यों इस तरह से
यूं उदास चेहरा लिए
बैठो हो चुपचाप ?
उठो, जिंदगी दे रही है
आवाज़ तुम को
फिर यह …..
मौका न मिलेगा दोबारा
इसे गँवाने की
हिमाकत न करो
सीने से लगा लो
बाहों में भर लो इसको
जी भर के जी लो !
यही इल्तिजा ह...
जब तक मीठा न ...
फितरत !
जी भर के जी ल...
जी लेंगे हम द...
आंखों ने देखा...
खलिश !
अश्रु मेरे .....
मां तुम अमृता...
देवालय में बैठा बैठा मैं मन में करता ध्यान। शुभ दिन आया मैं करूँ दीप कौन सा दान। देवालय में बैठा बैठा मैं मन में करता ध्यान। शुभ दिन आया मैं करूँ दीप कौन सा द...
सफलता की एक ऐसी कहानी ये, जिसने बदला नज़रिया। सफलता की एक ऐसी कहानी ये, जिसने बदला नज़रिया।
अमर रहेगी गोरा बादल की कहानी बोल रही मिट्टी राजस्थानी अमर रहेगी गोरा बादल की कहानी बोल रही मिट्टी राजस्थानी
हम सबकी सुनेंगे... लेकिन हमें कोई नहीं.... कोई नहीं सुन सकता। हम सबकी सुनेंगे... लेकिन हमें कोई नहीं.... कोई नहीं सुन सकता।
इंद्रधनुष देखकर मेरे मन में सदा, एक ही ख्याल आता है! इंद्रधनुष देखकर मेरे मन में सदा, एक ही ख्याल आता है!
पुकार ले कोई जो पीछे से, तो रुक जाएं ये कदम. पुकार ले कोई जो पीछे से, तो रुक जाएं ये कदम.
सांस ये जब तक बाकी है, सब कर्म रहूँ में यूँही करती। सांस ये जब तक बाकी है, सब कर्म रहूँ में यूँही करती।
उसकी फ़ितरत इंसानों से अलग है, वो आख़िरी साँस तक साथ निभाऐगी।हाँ सच ही तो, याद ही तो मेरी जागीर है।.... उसकी फ़ितरत इंसानों से अलग है, वो आख़िरी साँस तक साथ निभाऐगी।हाँ सच ही तो, याद ह...
क्यों डरते है इस हार से हम , ये हार असल में जीना है। क्यों डरते है इस हार से हम , ये हार असल में जीना है।
पूत है कुल का गौरव तो, बेटी है संसार।।30 पूत है कुल का गौरव तो, बेटी है संसार।।30
वो राधा है वो गीता है वो शक्ति है वो सीता है. वो राधा है वो गीता है वो शक्ति है वो सीता है.
नारी इस जग की जननी है वन्दन उसको हम करते हैं।। नारी इस जग की जननी है वन्दन उसको हम करते हैं।।
हाँ हम भी होली मनाते हैं.. रिश्तों को रिश्तों से मिलाते हैं.. हाँ हम भी होली मनाते हैं.. रिश्तों को रिश्तों से मिलाते हैं..
पुनर्जन्म से पहले आत्मा करती है थोड़ा आराम! पुनर्जन्म से पहले आत्मा करती है थोड़ा आराम!
अहिल्याबाई का सुदृढ़ व्यक्तित्व, उनकी जीवन गाथा। अहिल्याबाई का सुदृढ़ व्यक्तित्व, उनकी जीवन गाथा।
बैर और नफरत की दीवार को, मिलकर मिटटी में मिलाते हैं चलो इस जनवरी, जन जन को जगाते हैं. बैर और नफरत की दीवार को, मिलकर मिटटी में मिलाते हैं चलो इस जनवरी, जन जन को...
तुम भी जागो... जागो, अपनी संस्कृति को अपनाओ तुम। तुम भी जागो... जागो, अपनी संस्कृति को अपनाओ तुम।
ये सूना पड़ा हुआ घर, घर का खाली पड़ा अहाता। ये सूना पड़ा हुआ घर, घर का खाली पड़ा अहाता।
नमन तुम्हे है हे! माता, मै शत शत बार प्रणाम करूॅ॑। शब्द नहीं मेरे मन मंदिर में। नमन तुम्हे है हे! माता, मै शत शत बार प्रणाम करूॅ॑। शब्द नहीं मेरे मन मंदिर मे...
रेत के समान है वक्त बंद मुट्ठी से भी फिसल जाता है, जो वक्त के साथ चले वक्त उसी के साथ। रेत के समान है वक्त बंद मुट्ठी से भी फिसल जाता है, जो वक्त के साथ चले वक्त उस...