मां तुम अमृता हो !
मां तुम अमृता हो !
मां तुम अमृता हो
इसलिए कि
तुझ में ही तो
जीवन का अमृत है
तुम बसंती बयार हो
जहां महकता है बसंत
तुम वो समंदर भी हो
जो खुद में जाने
कितने खजाने समेटे बैठा है
तुम दरिया का
शीतल जल हो
जो सबकी प्यास बुझाता है
मां जीवन के प्रवाह की
तुम बहती नदिया हो
मां तुम मुझमें रहती हो
मैं तुझमें
आज "तुम" "मैं" हूं
मां तुझे तो पता ही है
मां में बेटी रहती है
बेटी में मां
यही सिलसिला
चलता रहता है हरदम !
