खलिश !
खलिश !
जब से …….
तुझे देखा है सनम
तेरी आंखों के
मयकदे में डूबा
ये मयकशी का आलम
जीने नहीं देता
मरने भी नहीं देता ,
दिल में खलिश है बेइंतेहा
आंखों में है रतजगे बेशुमार
ऐसा क्यों होता है जानेमन
तू ही बता दे अब !
जब से …….
तुझे देखा है सनम
तेरी आंखों के
मयकदे में डूबा
ये मयकशी का आलम
जीने नहीं देता
मरने भी नहीं देता ,
दिल में खलिश है बेइंतेहा
आंखों में है रतजगे बेशुमार
ऐसा क्यों होता है जानेमन
तू ही बता दे अब !