परवाह
परवाह
हम परवाह बहुत करते हैं तुम्हारा,
लेकिन तुम्हें हम कभी बताते नहीं है।
चाहते हैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हें ही,
मगर कभी हम जताते नहीं है।
हमारी आंखों में देख लो तुम चाहत,
जुबां पे हम इज़हार के शब्द लाते नहीं है।
देना चाहते हैं हम हर खुशियां तुम्हें,
फरेब में कभी रिश्ता निभाते नहीं है।
तुम्हें देखते ही प्रसन्न हो जाते हैं,
तुम बिन खुशियां हम पाते नहीं है।
तुम्हें ही देखते हैं ख़्वाब ओ ख़्याल में,
तुम्हारे अलावा अन्य स्वप्न सजाते नहीं है।
तुम्हें चाहें किस तरह हम सोचते हैं,
तुम्हें खुश न देखे तब तक मुस्कुराते नहीं है।

