तन्हाइयों में याद करोगे मुझको
तन्हाइयों में याद करोगे मुझको
जिन्दगी की इस भीड़ में अगर, कभी लगे तुम्हें सूना सूना,
एक बार तो याद कर लेना मुझे, लगेगा तब अपना अपना।
अपने परायों की भीड़ में, कुछ खोया खोया सा लगता होगा,
तनहाइयों में याद करोगे मुझे, तो सुकून भी मिलता होगा।
सब कुछ होता पास जब, अपने तब साथ साथ चलते हैं,
न होता जब कुछ भी पास कभी, अपने भी नाता तोड़ते हैं।
जब भी कभी होती है थकान, काम आता है यही अकेलापन,
अकेलेपन में याद कर लेना मुझे, पाओगे अलग अपनापन।
जब देखता हूँ चारों ओर, मिलता हैं समाज का दोगलापन,
खोजता हूँ किसी में अपनापन, तो मिलता सिर्फ खोखलापन।
संसार के झूठे नियम क़ानून, सभी हो जैसे एक दिखावटीपन,
हर कोई मुखौटा ओढ़े हुए यहाँ, लगता हर कुछ बनावटीपन।
तभी लगेगा तुम्हें अपना सा, तनहाई में याद करोगे मुझे भी,
देखना, तब सब अच्छा लगेगा, लगेंगे तब अपने लोग सभी।
किसी भी हाल में, ए दोस्त, मुझ सखा को तुम भूल न जाना,
रहूँगी खड़ा सदा तेरे ही साथ, न तोड़ना कभी तू ये याराना।
अपने परायों की इस भीड़ में, पाओगे मुझे सदा तुम अलग,
साथ न तोड़ूँगा मैं कभी, हो जाएँ भले ही सब रिश्ते विलग।
एक दिन ऐसा भी आएगा, जब होगा तुम्हें दोस्ती पर नाज,
जिस दिन समझोगे ये बात, अलग होगा जीने का अंदाज़।

