तेरे बिन तेरे लिए...
तेरे बिन तेरे लिए...


साथ जीने मरने की कसमें
तो कितनी ही बार खाई हैं
मगर मैं
आज एक कसम खाता हूं
मैं जीयूंगा
तुझे जीवित रखने के लिए।
खुद तक सीमित रखने के लिए नहीं
तुझे संपूर्ण संसार में
महसूस करने के लिए।
वो संसार जो तेरा बनाया हुआ है
जिसे अपने
कितने ही कीमती साल लगा दिए
तुमने बनाने में
उन्हें संवारने में
उस कमरे को घर बनाने में
और घर को
प्रेम मंदिर बनाने में।
मैं जियूंगा तेरे बिन
उस घर के कोने कोने में
तुम्हें जीवित र
खने के लिए
जिसे सजाया था कभी तुमने
कितने जतन से।
जैसे एक चिड़िया अपना घोंसला बनाती है
तिनका तिनका जोड़ के
ठीक वैसे ही
हां तुमने वो घर संवारा था।
कितनी ही दीवारों पे तुमने
हमारे यादों को सजाया था
हां मैं जियूंगा तुम्हें उन यादों में
महसूस करने के लिए।
जिन तितलियों के पर में
कभी तुमने सप्त रंगी रंग भरे थे
उन तितलियों के ख्वाबों को
मैं जीयूंगा
खुला आसमान देने के लिए।
हां मैं जीयूंगा
तेरे बिन तेरे लिए....।