चाय का सार
चाय का सार
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रिश्तों की चाय
और उसकी
सोंधी सी खुशबू हो।
हाथों में चाय
और संग
रिश्तों की गरमाहट हो।
छोटी इलायची सी लड़ाई
और गुड़ सा
मीठा तकरार हो।
इनकार और इकरार
से बुना अदरक सा
प्यार का जाल हो।
वादे और यादों
का सिलसिला और
अपना संसार हो।
लौंग सा रूठना मनाना
कभी आंखों में चुटकी भर
नमी सी नमक का एहसास हो।
स्वादानुसार प्यार हो
बस यही जीवन में
चाय का सार हो।
