टूटू की कल्पना
टूटू की कल्पना
बारिश की बूंदें गिरती,
लेकिन ये बूंदें थीं निराली।
पॉपकॉर्न का मैदान, चॉकलेट का घर,
खुशी से नाचती, टूटू ये देखकर।
चॉकलेट और कैंडी, टूटू के लिए,
बन जातीं बारिश की बूंदें।
फूलों की जगह, घास में उगते,
पॉपकॉर्न और कॉटन कैंडी की झूंडें ।
टूटू दौड़ती, इधर-उधर,
खुशी से नाचती, ये देखकर।
मैंगो जूस की नदी बहती, लॉलीपॉप के पेड़,
टूटू के सपने, कितने प्यारे हैं, देख!
आकाश में इंद्रधनुष,
बनता रंग-बिरंगा, स्लाइड।
कल्पनाओं के पंख, फैलाती आसमान,
जेम्स के रंगों से, बनाती अलग पहचान।
टूटू की दुनिया, है कितनी प्यारी,
मीठे सपनों की, ये दुनिया है निराली।
कपकेक की नाव पर, टूटू जाती स्कूल,
लॉलीपॉप के जंगल में, ढूंढती अंगूर।
कॉटन कैंडी के घास पर, होती लोट-पोट,
खुशी से चिल्लाती, ये दुनिया है गोल।
बारिश की बूँदें, मन में भरे उमंग,
पापा की डायरी कैनवास, मन एक पतंग।
उंगलियों से छूती, बनाती नया चित्र,
तितली सी उड़ान, रेखाएं चित्र विचित्र।
बनाती नदिया, तो कभी बनाती समुंद्र,
कभी बनाती कन्हैया, तो कभी श्री कृष्ण।
करती जप, कभी लिखती ओम,
कभी बनाती शिवा, तो कभी सर्प।
कभी परी सी ड्रेस पहन, नादानियां दिखाती,
बन जाती पेप्पा, बारिश के गड्ढों में उछला।
