प्रेम की सौगात
प्रेम की सौगात
मैं तो तुम्हें अपना सा कुछ देना चाहती हूँ
पर तुम लौटा रहे हो मुझको मेरी सौगात
हो नशा दौलत का अगर छाया तुम पर
तो लौटा दो मुझको मेरी हर वो रात
जिसमें मैने दिए तुमको
अनगिनत आंसू सोच तेरी हर बात
लौटना हो चाहते तो लौटा दो
तुम मुझको मेरी मुस्कुराहट आज
खो गई है नींद अंखियों से
बैरी हो गई है धड़कने आज
लौटा दो मुझको मेरा चैन
जो छीन गई तुझसे बातें करने के बाद
लौटा दो मेरे मन को
जो बावरी बन तुझको चाहे आज
क्या पूरे कर सकते हो वो ख्वाबों के मंजर
क्या भर सकते हो उसमें रंग
नहीं क्यों की तुम चलना नहीं चाहते
बस एक कदम मेरे साथ
लौटा दो तुम मेरे दिल को
जिसपे तुम करते हो अनगिनत वार
नहीं सह पाऊंगी और अब जख्म तेरा
ऐसी है तेरे प्रेम की सौगात।

