वो भी कुछ कम नही बावली सी है बावली हो मेरे बदन को चूमती वो पेड़ो के इर्द-गिर्द फेरे लगाती मैं... वो भी कुछ कम नही बावली सी है बावली हो मेरे बदन को चूमती वो पेड़ो के इर्द-...
अपनेपन का जहां एक प्यारा सा समां हो अपनेपन का जहां एक प्यारा सा समां हो
आओ लगाएं एक ऐसा शज़र कि जिसके साए में हम भी बैठें और तुम भी बैठो आओ लगाएं एक ऐसा शज़र कि जिसके साए में हम भी बैठें और तुम भी बैठो
इक-दूजे की सलामती की दुआओं में सांयकाल निज पनाहों की ओर मुड़ें। इक-दूजे की सलामती की दुआओं में सांयकाल निज पनाहों की ओर मुड़ें।
कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को....... कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को.......
जल की बूँद बूँद से भर जाती हैं नदियाँ। जल की बूँद बूँद से भर जाती हैं नदियाँ।