अपनेपन का जहां एक प्यारा सा समां हो अपनेपन का जहां एक प्यारा सा समां हो
किसी की नजर लग गई शायद। किसी की नजर लग गई शायद।
हर दिन एक नए पैगाम के साथ हर दिन एक नए पैगाम के साथ
दिल तो उनका भी थोड़ा नम होगा हाल सबका ही एक जैसा है दिल तो उनका भी थोड़ा नम होगा हाल सबका ही एक जैसा है
सारी दौलत... बेटी बदौलत... सारी दौलत... बेटी बदौलत...
पगडंडियों के उन ख़ूबसूरत मोड़ पर ज़रा पलटकर शायद अपने ही बचपन को फिर से निहार पाऊंगी… पगडंडियों के उन ख़ूबसूरत मोड़ पर ज़रा पलटकर शायद अपने ही बचपन को फिर से निहार...