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Archana Saxena

Others

4.0  

Archana Saxena

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फिर मुस्कायेंगे

फिर मुस्कायेंगे

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बेवजह मुस्कुराने की वजह बोलो

दिल में जो दर्द दफन हैं जरा सा खोलो

आँसू आँखों से कोई न पोंछे

बाँट के फिर भी दर्द कम होगा

वह भी कुछ दर्द अपने बाँटेंगे

दिल तो उनका भी थोड़ा नम होगा

हाल सबका ही एक जैसा है

मिल नहीं सकते आ गई दूरी

हालात के आगे इंसा हुआ बेबस

सबके दिल में है कितनी मजबूरी

वक्त ठहरा नहीं कभी पहले

मानो इस बार भी न ठहरेगा

कैद टूटेगी सभी की इक दिन

हर कोई खिलखिलाहट बिखेरेगा

अपनो से मिलेंगे पहले की तरह

फिर से सबको गले लगाएंगे

जाएगी जब ये मुसीबत भारी

हम भी तब फिर से मुस्कुरायेंगे


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