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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

Romance

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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

Romance

बंजर ज़मीं

बंजर ज़मीं

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मेरे दिल की बंजर ज़मीं पर

परागकण सा प्रेम तेरा


प्यासी धरा पर हो जैसे

सावन का लगा मेला


भँवरे की गुंजन से चहका

मेरे दिल का चमन ऐसा


महका महका सा रहता है

दिल के गुलशन का कोना।


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