फ्लाइट
फ्लाइट
जब ज़मीं से देखूँ तो चमकता आसमाँ
टिमटिमाता ऊपर नज़र आता है,
गर जो आसमाँ से देखूँ कभी रात में, तो
जुगनू सी जगमगाती धरती नीचे बिछी है।
सितारों से सजा शहर है, या
ज़री का काम किया हुआ तुम्हारा आँचल
या मुट्ठी भर 'आकाश-गंगा' फैला दी है
ज़मीं पे किसी ने, आसमाँ से उधार लेकर
ये टिमटिमाता आसमाँ और
जगमगाती ज़मीं
दोनों में कोई फ़र्क नहीं,
इक दूजे की शक़्ल लिए
बैठे हैं आमने सामने
वक़्त की आख़िरी गाँठ तक ;
दोनों के बीच में किसने रखा
यह आईना ग़ायब सा...
एक दूसरे की तासीर बाँधे
मगर लिए करोड़ों नूरहानी बरस की दूरी
बीच में कभी कभी ये ज़मीं-आसमाँ
मुझे हम दोनों से लगते हैं ।

