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Prashant Beybaar

Abstract Classics Fantasy

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Prashant Beybaar

Abstract Classics Fantasy

फूल दिल तक़दीर में आए बहुत, पर हमें पत्थर के मन भाए बहुत

फूल दिल तक़दीर में आए बहुत, पर हमें पत्थर के मन भाए बहुत

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फूल दिल तक़दीर में आए बहुत

पर हमें पत्थर के मन भाए बहुत


राह के काँटों से रक्खा राबता

पाँव के छाले भी शरमाए बहुत 


नक़्श देखे रोज़ उसके इक वही

आइना अपने पे इतराए बहुत 


जान लेकर भी शराफ़त देखिए

नुस्ख़े वो जीने के बतलाए बहुत 


जब तवक़्क़ो ही नहीं इस ज़ीस्त से

फिर हमें दुनिया क्यूँ समझाए बहुत।


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