STORYMIRROR

Sameer Faridi

Romance

3  

Sameer Faridi

Romance

...ज़ारी है।

...ज़ारी है।

1 min
186

थोड़े नशे, थोड़े शबाब की तलाश ज़ारी है,

हम निकले थे जिस तलाश में, वो तलाश ज़ारी है।


देखना है कश्तियां जाके कहाँ ठहरें,

इन आँधियों में साहिलों कि तलाश ज़ारी है।


है इश्क का मारा वो चाँद भी कहीं,

क्यों रोशनी की उसको तलाश ज़ारी है?


उड़ते हैं अब्र क्यों, मीलों की दूरियों तक ?

क्या उनको भी नए फ़लक़ की, तलाश ज़ारी है


यूँ ढूँढते हैं अपना, हम दर-बदर निशां,

लगे मुफ़्लिशो को सीप की, तलाश ज़ारी है।


वैसे हम भी गुल रहें, हर शाम गुलों में,

जैसे तितलियों को इत्र की तलाश ज़ारी है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance