ना जाने ये बेचैनियाँ कैसी है ना जाने ये बेचैनियाँ कैसी है
जो ना होती मेरी ये मजबूरियाँ, तो ना सहती तेरी मैं ये नादानियाँ । जो ना होती मेरी ये मजबूरियाँ, तो ना सहती तेरी मैं ये नादानियाँ ।
देखते हैं क्यों मुझे हैरत से यूँ, आईना हूँ आपका चेहरा नहीं। देखते हैं क्यों मुझे हैरत से यूँ, आईना हूँ आपका चेहरा नहीं।
मुझे मिर्जा ग़ालिब बनने दीजिये शायरी नया लिखने दीजिये मुझे मिर्जा ग़ालिब बनने दीजिये शायरी नया लिखने दीजिये