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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Others

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance Others

कुछ नज्म़ इश्क की

कुछ नज्म़ इश्क की

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अपनी फुर्सत में थोड़ी सी फुर्सत,

फुर्सत से हमारे लिए भी निकाल लिया करो !

कल को कहीं कुछ ऐसा न हो कि तुम फुर्सत निकालो हमारे लिए

और हम फिजां से ही फरार हो जाएं।।


तुम मुझे हराकर जीत नहीं सकते और मैं जीतकर भी हार जाऊँगा ।

इसलिए बेहतर है हमारा मुकाबला बराबरी पर समाप्त हो जाए। ।।

कल तक जो जोहते थे मेरा आसरा !

डूबते ही नैया मेरी वो तलाश हो गए। 

टूटते ही तारा वो अपरिमित आकाश हो गए। 

ढूंढ रहें हैं किसे हम, जो अपने थे न जाने कहाँ छिप गए

अब गैर ही मेरे दिल के पास हो गए ।।



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