कुछ वादें
कुछ वादें
कुछ वादें जो की है उनसे वो मैं चाहकर भी भूल नहीं सकता ।
जीने के संग उनके साथ में ,मेरे व्यक्त इरादे सदा मुझे इतला कराती है मेरे होने के कारण का ।
मेरे जीने का जरिया बन गई हैं ,वो ।
सामाजिक बंधनों की आड़ में पवित्र प्रेम के बंधन को कैसे तोड़ दें हम ।
साथ निभाने का अंतिम साँस तक ,उन्हें वचन दिया है ।
यूं बीच सफर में साथ कैसे छोड़ दें हम ।।
वह नित बात भले ही न मुझसे करती है ।
पर मुझे पूरा यकीन है कि उसके नित बातों में मैं जरूर शामिल होता होऊँगा ।
या मुझे वो शायद याद करे या न करे मुझे इसका कोई गम नहीं !
मैं उसे हरपल हृदय में संजोये रहता हूँ।
क्या कुछ कम नहीं।।

