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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

कुछ वादें

कुछ वादें

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कुछ वादें जो की है उनसे वो मैं चाहकर भी भूल नहीं सकता ।

जीने के संग उनके साथ में ,मेरे व्यक्त इरादे सदा मुझे इतला कराती है मेरे होने के कारण का ।

मेरे जीने का जरिया बन गई हैं ,वो ।

सामाजिक बंधनों की आड़ में पवित्र प्रेम के बंधन को कैसे तोड़ दें हम ।

साथ निभाने का अंतिम साँस तक ,उन्हें वचन दिया है ।

यूं बीच सफर में साथ कैसे छोड़ दें हम ।।

वह नित बात भले ही न मुझसे करती है ।

पर मुझे पूरा यकीन है कि उसके नित बातों में मैं जरूर शामिल होता होऊँगा ।

या मुझे वो शायद याद करे या न करे मुझे इसका कोई गम नहीं !

मैं उसे हरपल हृदय में संजोये रहता हूँ।

 क्या कुछ कम नहीं।।


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