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Rajeev Namdeo Rana lidhori

Romance Others

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Rajeev Namdeo Rana lidhori

Romance Others

ग़ज़ल-निखर जाने दो...

ग़ज़ल-निखर जाने दो...

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चांदनी रात में ये हुस्न निखर जाने दो।

आज तो जुल्फ़ को शानो पे बिखर जाने दो।।


किसी की आह का होता है असर समझो उसे।

है बेगुनाह सताना नहीं घर जाने दो।।


पास आयेंगे मसर्रत के भी लम्हात कभी।

है बुरा वक्त अभी इसको गुज़र जाने दो।।


हूं मुरीद आपका मुझ पे भी करम हो जाये।

इक नज़र डाल दो झोली मेरी भर जाने दो।।


क्या करोगे यहां तुम आके भला अय 'राना'।

यही है हादसों का एक शहर जाने दो।।



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