STORYMIRROR

Madhavi Solanki

Romance

3  

Madhavi Solanki

Romance

खफा हो गए हैं

खफा हो गए हैं

1 min
147

खफा हो गए हैं वो लगता है पेड़ से सारे पत्ते गिर गए हैं

खफा हो गए हैं वो लगता है जिंदगी से सारे रंग कहीं खो गए हैं

खामोश हैं ज़ुबान उनकी नहीं जानती क्या सोच रहे हैं लेकिन इतना तो जानती हूं मेरे बिना खुश तो नही होगें

खफा हो गए हैंं वो , पता नहीं क्यू बिना ग़लती के भी लगता है कि ग़ुनाह कर दिया है

आज वो भी खामोश हैं और में भी लेकिन ये मन हरवक्त उनके बारे में सोच रहा है 

जो बातें हैं वो ज़ुबान नहीं बोल पा रही वो शायद वो मेरी आंखों में पढ़ सके ,ख़ुदा उन्हें मेरे सामने लाके खड़ा करना

वो खफा हैं मुझसे , नाराज़ हैं पर मेरा दिल जानता हैं जब वो मुझे जान जायेगे तब वो जानेंगे क्या गलती है मेरी 

वो ख़फ़ा हैं लगता है खुशियां कहीं खो सी गई हैं , उनके मैसेज के बिना ये मन बेचैन सा हो गया है

पता है मुझे ख़फ़ा हैं वो मुझसे लेकिन हमेशा ही उनके मैसेज का इंतज़ार रहेगा मुझे ....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance