क़ैद की मुद्दत
क़ैद की मुद्दत
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सजा तो हम काट लें ख़ुशी से पर,
इस क़ैद की मुद्दत पता तो चले
तकलीफें सारी झेल लेंगे हंसकर
कब मिलेगी राहत पता तो चले
सजदा हर दिन करते हैं पूरी शिद्दत से
रंग कब लाएगी यह इबादत पता तो चले।