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Pramila Singh

Classics

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Pramila Singh

Classics

देर बहूत कर दी आने के लिए

देर बहूत कर दी आने के लिए

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कुछ रास्तों पर चलकर कोई मंजिल नहीं थी मेरी

हम चलते रहे बस तेरा साथ निभाने के लिए


 तुम हर कदम पर उलझने नयी खड़ी करते रहे 

सिर्फ और सिर्फ मुझे आजमाने के लिए


तेरी यादों को पूंजी बना कर, जीते रहे हम एक उम्र

और तुझे लम्हा न लगा हमें भुलाने के लिए


हां तुझ से खफा होकर तेरी महफिल छोड़ आए थे हम

तुम एक दफे तो आ जाते हमें बुलाने के लिए


सितारों से भरे राहों की ख्वाहिश कभी नहीं की थी मैंने

मुझे तो बस कुछ फूल चाहिए बगिया महकाने के लिए


बहुत देर से तेरे दर पर खड़े थे हाले दिन सुनाने के लिए

तुमने ही देर बहुत कर दी आने के लिए।


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