स्कंदमाता
स्कंदमाता
भक्त की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती,
पंचमी तिथि को जब स्कंदमाता खुशी होती।
मनमोहिनी स्वरूप मैया की सबको खूब भाए
शुभकारी माँ सिंह पर सवार हो दरश दिखावें।
चार भुजाओं वाली होती हैं अपनी स्कंदमाता,
दो भुजाओं में कमल अपने भाग्य पर इतराता
तीसरे हाथ स्कंद जी अपने बाल रूप में विराजें
चौथे हाथ में माता तीर को भली-भांति संभालें
माता जब बैठें तो आसन रूप में कमल होता
इसलिए मैया का नाम पद्मासना देवी भी होता।
शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय की माता स्कंदमाता
इनकी कृपा से निसंतान की गोद शीघ्र भरता।
उपासक जो हो सो पीले रंग के कपड़े पहने,
पीले फल व केले का माता को भोग लगावें
तब संतान पर कभी न कोई भी विपदा आवे।
सुख वैभव पावे, कष्ट रोग से भी मुक्त हो जावे।